Saturday, 4 November 2017

भारत के इस गांव से है स्वर्ग जाने का रास्ता, ऐसा है भारत का आखिरी गांव

भारत के इस गांव से है स्वर्ग जाने का रास्ता, ऐसा है भारत का आखिरी गांव 
आप देश के कई मशहूर पर्यटन स्थलों पर घूमने गये होंगे। आपने देश के ग्रामीण इलाकों में भी यात्राएं की होंगी। साथ ही ऐसे कई पर्यटन स्थलों के बारे में भी सुना होगा, जो आपकी 'विश लिस्ट' में शामिल होंगे। 
लेकिन क्या आपने कभी देश के 'आखिरी गांव' के बारे में सुना है? जी हाँ, उत्तराखंड के चमोली जिले में बसे 'मीणा' गांव को देश का आखिरी गांव या 'सीमान्त ग्राम' कहा जाता है। 
'माणा' बद्रीनाथ शहर से केवल 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ की तरह ही यह भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। उत्तराखंड सरकार ने 'माणा' को 'पर्यटक ग्राम' घोषित किया है। 
आइये जानते है 'इस सीमान्त प्रांत' से जुड़े अन्य रोचक तथ्य।

सरस्वती नदी के किनारे बसा है 'माणा'

सरस्वती नदी के किनारे बसा है 'माणा'
माणा भारत और चीन/तिब्बत की सीमा पर बसा है। यह समुद्रतल से 3219 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह गांव हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। 

'मणिभद्र' है पौराणिक नाम

'मणिभद्र' है पौराणिक नाम
'माणा' में सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम भी होता है। यहाँ स्थित कुछ प्रचीन मंदिर और गुफाएं बहुत प्रसिद्ध हैं। जो भी भक्त 'बद्रीनाथ' आते हैं, वो 'माणा' की यात्रा करने का मौका नहीं छोड़ते हैं।

'भीम पुल' से होकर स्वर्ग गए थे पांडव

'भीम पुल' से होकर स्वर्ग गए थे पांडव
माना जाता है कि महाभारत काल में पांडव जब स्वर्ग जाने के लिए इस स्थान से गुजरे थे तो उन्होनें सरस्वती नदी से रास्ता मांगा था। लेकिन सरस्वती नदी द्वारा रास्ता ना दिए जाने पर भीम ने दो बड़ी शिलाएं डालकर पुल बना दिया और पांडव इसी पुल से होकर स्वर्ग की ओर गए थे। 

'व्यास जी' का मंदिर बना है यहाँ पर 

'व्यास जी' का मंदिर बना है यहाँ पर 
माणा में महाभारत के रचनाकार वेद व्यास जी का मंदिर भी बना हुआ है। कहा जाता है कि व्यास जी उस काल में इसी गुफा में निवास करते थे। व्यास जी के इस मंदिर में उनके पुत्र शुक्रदेव और वल्लभाचार्य की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं। इसके अलावा यहाँ विष्णु जी की एक प्राचीन प्रतिमा भी है।

गणेश जी ने दिया था सरस्वती नदी को श्राप 

गणेश जी ने दिया था सरस्वती नदी को श्राप 
ऐसा भी माना जाता है कि जब भगवान गणेश वेद लिख रहे थे, तब सरस्वती नदी पूरे वेग से बह रही थी। इस दौरान वे बहुत अधिक शोर कर रही थी, जिससे गणेश जी के काम में खलल पड़ रहा था। गणेश जी ने सरवस्ती को शांत होने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं मानी तो उन्होंने सरस्वती नदी को विलुप्त होने का श्राप दिया था।

ट्रेकिंग के लिए है बेहतर विकल्प 

ट्रेकिंग के लिए है बेहतर विकल्प 
माणा ट्रैकिंग के लिए भी एक बहुत अच्छी जगह है। यहाँ ट्रैकिंग के लिए माणा से वसुधरा,  माणा से माणा पास, माणा से सतोपंथ और माणा से चरणपादुका जैसे कई ट्रैकिंग रुट्स निकलते हैं। 

ये है भारत की आखिरी चाय की दुकान 

ये है भारत की आखिरी चाय की दुकान 
अगर आप भी चाय पीने के शौक़ीन है तो 'देश की आखिरी चाय की दुकान' में मिलने वाली चाय का खासतौर पर लुत्फ़ उठाइएगा। 'माणा' में मई से अक्टूबर के बीच में पर्यटकों की आवाजाही रहती है। गौरतलब है कि यह वही समय है, जिस दौरान तीर्थ स्थल बद्रीनाथ के पट खुले होते हैं।

ऊनी कपड़ो के लिए मशहूर है यह गांव 

ऊनी कपड़ो के लिए मशहूर है यह गांव 
'माणा' शॉल्स, मफलर्स, कैप्स, अशन, पंखी, और कारपेट जैसे ऊनी कपड़ों के लिए मशहूर है। माणा में मुख्य रूप से 'भेड़' के ऊन से कपड़े बनाये जाते हैं। इसके अलावा माणा आलू और राजमा के लिए भी जाना जाता है।

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